KUTKI
यह बरसात में होनेवाला छोटा पौधा है। कुटकी के पत्ते 2-4 इंच लम्बे, अण्डाकार, जड़ की अपेक्षा आगे की ओर कुछ चौड़े, चिकने, झालरदार होते हैं। पौधे के बीच से निकले डंठल पर नीले या सफेद रंग के अनेक फूल लगते हैं। कुटकी के फल आकार और रंग में कुछ जौ से मिलते-जुलते होते हैं। कुटकी का जड़ बहुत कड़वी, 6-7 इंच तक लम्बी, अंगुली की तरह मोटी, खुरदरी, सूक्ष्म ग्रन्थियुक्त और भूरे रंग की होती है।
रासायनिक संघटन : इसकी जड़ में एक कड़वा सत्त्व पिक्रोराइजिन 15 प्रतिशत, केथेर्टिक एसिड 9 प्रतिशत, कुल ग्लूकोज, मोम आदि पदार्थं होते हैं।
कुटकी के गुण : यह स्वाद में कड़वी, पचने पर कटु तथा रूखी, हल्की और शीतल है। इसका मुख्य प्रभाव पाचन-संस्थान पर भेदक (दस्त लाने वाला) और विरेचक रूप में पड़ता है। यह अग्निदीपक, यकृत-उत्तेजक, हृदय-बलदायक, रक्तशोधक, शोथहर, रक्त-भारवर्धक (ब्लडप्रेशर बढ़ानेवाला), स्त्रीदुग्धशोधक, मेदहर, कफनि:सारक, कटु-पौष्टिक, दाहशामक, ज्वरहर तथा कुष्ठहर है।
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