- बथुआ साग के आयुर्वेदिक लाभ
बथुआ का वानस्पतिक नाम Chenopodium allum .L है। इसे आमतौर पर अंग्रेजी में 'Lamb's quarters' और 'Goosefoot' के नाम से जाना जाता है।- वानस्पतिक नाम: Chenopodium album L.
- परिवार: यह Amaranthaceae (या पुरानी वर्गीकरण प्रणाली में Chenopodiaceae) परिवार से संबंधित है।
- अन्य सामान्य नाम: इसे 'वास्तुक' (संस्कृत में), 'Fat hen', 'White goosefoot' और 'Wild spinach' भी कहते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, बथुआ साग A Nutritious digestive food for all . Give Relief from Constipation..It works as best anti- Oxident.. यह रक्त को शुद्ध करता है, लिवर के कार्य को बेहतर बनाता है, और त्वचा की समस्याओं से भी राहत दिलाता है। बथुआ में सूजन-रोधी (anti-inflammatory) और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द, सूजन और बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। यह पथरी, किडनी की समस्या और कमजोरी के लिए भी फायदेमंद है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
बथुआ साग के आयुर्वेदिक लाभ:
- पाचन और कब्ज: यह हल्का और पचने में आसान होता है, पाचन को दुरुस्त रखता है और कब्ज को दूर करता है।
- रक्त शोधक: यह खून को साफ करने में मदद करता है और लिवर को स्वस्थ रखता है।
- त्वचा संबंधी समस्याएं: रक्त को शुद्ध करने के कारण यह मुंहासे, खुजली और रैशेज जैसी त्वचा की समस्याओं में फायदेमंद है।
- सूजन और दर्द: इसमें सूजन-रोधी और दर्द-निवारक गुण होते हैं, जिससे जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत मिलती है।
- पथरी और किडनी: इसके रस का सेवन पथरी और किडनी से संबंधित समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है।
- कमजोरी और बुखार: यह सामान्य दुर्बलता, बुखार के बाद की अरुचि और कमजोरी में भी लाभकारी है।
ध्यान रखने योग्य बातें:
- गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को बथुआ का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो नुकसान पहुंचा सकते हैं और मिसकैरेज का खतरा बढ़ा सकते हैं।
- पाचन तंत्र: जिन लोगों का पाचन तंत्र बहुत कमजोर है, उन्हें बथुआ का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- विशेषज्ञ की सलाह: किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए कोई भी नई चीज अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।
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